Friday 6 February 2015

हर रोज़

हर रोज़ तेरी एक झलक पाने को
तेरी खिड़की के नीचे खिचा चला आता हूँ
घंटो खड़ा रहता हूँ पर बंद खिड़की को देख
हताश होकर मैं वापिस चला जाता हूँ